syed raza mehdi 921
Quote by syed raza mehdi 921 - जिस्म से रूह निकली और तवाफ़ जारी रखा
इश्क़ का वो एक आखरी अज़ाब जारी रखा 

कौन चलता है कितनी दूर सफर में तय होगा 
हवा के मानिंद एक सफर  युहीं जारी रखा

ख़्वाब जारी रखा , कुछ इंतेखाब जारी रखा
आखरी वक़्त तक बस युहीं इन्तेज़ार जारी रखा
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