GAYATRI AHIRWAR
Quote by GAYATRI AHIRWAR -     कुछ अपना-सा .......✍️✍️

अंधेरा ही अंधेरा है, उजाला कहा से लाऊ।
उजड़ी हुई ज़िन्दगी में,  फिर से बसेरा कहा से लाऊ।।

खत्म होते जा रही हूं मैं धीरे-धीरे।
जो खत्म होने से बचा ले वो खुदा कहा से लाऊ।।

भूल चुकी हूं मैं सारे सलीके ज़िन्दगी के ।
जो फिर से जीना सिखा दे वो हम-नवा कहा से लाऊ।।

कोई है जो सुलझा दे मेरी सारी उलझनों को ।
तो ऐ खुदा तू ही बता मैं उसका पता कहा से लाऊ।।


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