Pallav Agrawal
Quote by Pallav Agrawal - चलो काग़ज़ पर फिर दर्द को कुरेदा जाए,
फिर इश्क़ के अर्थ को अल्फ़ाज़ों से समझा जाए।

शायद मुझसे ही कोई भूल हो गई हो मोहब्बत को समझने में,
तो ज़रा ख़ामोशी से तन्हा रातों को फिर सुना जाए।

गुनाह तो दोनों का था, फिर क्यों सज़ा सिर्फ़ मेरे दिल को मिले,
अफ़वाहों के बाज़ार में, ज़रा इल्ज़ाम दोनों में बाँटा जाए।

ज़रा चीज़ें तुमसे उछलेंगी, ज़रा सा बुरा मैं कह दूँगा,
चलो काग़ज़ पर तुम्हारे–मेरे, दोनों के दर्द को बराबर उकेरा जाए।

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