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Mohd Kalam
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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - सारी लवाज़िमात पे तेज़ाब डाल  दे
तू नीद,ख़्वाब,रात पे तेज़ाब डाल दे 
              इस शौक़े इश्क़ियात पे तेज़ाब डाल दे 
             हर आरज़ू की रात पे तेज़ाब डाल  दे 
जो कर रहा है फिक्रो तख़य्यूल पे इन्हेराफ
मुमकिन है मेरी  बात  पे  तेज़ाब डाल  दे 
              ताके न धड़के फिर कभी ऐ जाने वाले आ
            आ दिल की कायनात पे तेज़ाब  डाल दे
दुश्वार है ऐ काज़ी अगर फैसला तो सुन
तू  मेरे मुआमलात पे  तेज़ाब   डाल  दे
            ऐ चारागर न हो सके   चारागरी  अगर
             तो मेरे मुश्किलात  पे तेज़ाब   डाल  दे
अपनी हर एक  बात  पे तू है बज़िद अगर
तो  मेरी   सारी   बात  पे  तेज़ाब  डाल  दे
              यादों का कारवां  कोई लौटे न फिर कभी
              राहे  तसव्वुरात  पे   तेज़ाब   डाल   दे
आ मुझसे छीन ले मेरी ज़ौक ए सुखनवरी
मफ़ऊल   फ़ाईलात   पे  तेज़ाब   डाल दे
              वरना यूं ही लिखूंगा उसे कह दो ऐ कलाम
               कागज़  क़लम  दवात पे तेज़ाब डाल दे - Made using Quotes Creator App, Post Maker App
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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - جو کبھی ممکن نہیں  تھا یار حاصل کر  لیا 
مطلبی  دنیا میں ہم نے  پیار  حاصل  کر  لیا 

یوں رکھا مصروف دنیا کی طلب نے اے کلام
مسجدوں  کو  چھوڑ  کر  بازار  حاصل کر لیا 

जो  कभी मुमकिन  नही था  यार हासिल कर लिया
मतलबी   दुनिया  में हमने   प्यार हासिल  कर लिया

यूं  रखा   मसरूफ   दुनियां   की  तलब  ने ऐ कलाम
मस्जिदों  को   छोड़  कर  बाज़ार  हासिल  कर लिया 
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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - दिल की धड़कन को मेरी बेजान करते जाइए
मुज़्तरीब हूं  चैन  का  सामान  करते   जाइए

जा़त पर मेरी अगर  एहसान करना है तो फिर
आप   मेरे  क़त्ल  का  ऐलान   करते    जाइए
دل کی دھڑکن کو مری بےجان کرتے جائیے 
مضطرب ہوں  چین کا سامان  کرتے جائیے 

ذات پر میری اگر احسان کرنا  ہے  تو  پھر
آپ  میرے   قتل   کا  اعلان   کرتے  جائیے 

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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - با لیقیں اک روز  ہم   تم   فلسفہ  ہو   جائینگے
خاک تھے اور خاک  اک دن  باخدا  ہو  جائینگے

شاہِ دوراں ہوں قلندر  ہوں کہ ہوں  مفلس یتیم
ہے  بقاء  کس  کے  لئے   سارے  فنا  ہو  جائینگے

बिल यकीं एक रोज़ हम तुम फ़लसफ़ा हो जायेंगे 
ख़ाक  थे और  ख़ाक  एक दिन बाखु़दा हो जायेंगे

शाहे दौरां हों  क़लंदर हों की हों  मुफ़लिस यतीम 
है  बका़    किसके   लिए   सारे   फ़ना  हो  जायेंगे


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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - آدمی  خود آدمی  کو  ڈس  رہے ہیں  اس لیے
سانپ نے گھبراکے رخ جنگل کی جانب کر لیا

आदमी  ख़ुद  आदमी   को  डंस  रहे  हैं इस लिए
सांप ने घबरा के रूख़ जंगल की जानिब कर लिया

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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - جنہیں زمیں  پہ میسّر نہیں زمیں دو  گز
چلے ہیں  *چاند*  پہ  وہ  آشیاں  بنانے کو



जिन्हें ज़मीं पे मयस्सर नहीं ज़मीं दो गज़ 
चले हैं   चांद  पे  वो  आशियां  बनाने  को



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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - बादे सबा हैं सुबह की लाली हैं तितलियां
बागे   तख़्यूलात  की  माली  हैं तितलियां
                  अब के बना के छोडूंगा कौ़शे कजह उन्हें
                 रगों के साथ मैने मिला ली हैं तितलियां 
गर ये नही तो क्या है अलामाते आशिक़ी 
उसने हमारी सिम्त उछाली हैं तितलियां
                  ग़ाफ़िल  थे रंग और  थी नकहात बेख़बर 
                मैने  नज़र  नज़र  में  चुरा ली हैं तितलियां
भवरों  से  कह  दो दर पे निगेहबानियां करें
कमरे  में  मैने  अपने  बुला ली हैं तितलियां
                  छूने की ज़िद में तुम कहीं उंगली जला न लो
             ये  बात  जान लो  कि  जलाली  हैं तितलियां
है तितलियों पे सारी ग़ज़ल मुंहसिर कलाम
लेकिन   मुबालगे़   हैं  ख़्याली  हैं तितलियां

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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - बिछड़ने वाले तेरा ग़म बहुत सताएगा
के तेरे बाद ये  मौसम बहुत सताएगा

तेरी    सदाऐं   सदा  गूंजती रहेंगी यहां
वो तेरे लहजे का मरहम बहुत सताएगा

तुम्हारी याद से लाज़िम है आंख नम होगी
तुम्हारी याद का एल्बम बहुत सताएगा

बिछड़ते वक़्त ना पलकें भिगाना तुम वरना
तुम्हारी आंख का ज़मज़म बहुत सताएगा

खुमार आँखों का  जो तुम कभी पढ़ोगे तो 
तुम्हारा पढ़ना  ऐ  हमदम बहुत सताएगा

उदास होगी ये  मह़फ़िल उदास हम होंगे
किसी का जाना ऐ ,आलम, बहुत सताएगा

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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - लफ्ज़ो   से  खेलने  का हुनर  दे गया मुझे 
वो  काफ़िया  रदीफ़   बहर   दे  गया मुझे 

सांसों से अपने साँस की खुशबू निचोड़  कर 
वो इज़्तेराब  ए  शामो   सहर   दे  गया मुझे 

वो   है   वफ़ा   परस्त  ये दावे  किये  मगर 
फिर  अपनी हरकतों से मकर  दे गया मुझे 

एक आन में वो मुझसे बिछड़ कर चला गया 
हाँ  उम्र   भर  का.  दर्द  मगर  दे  गया  मुझे 

वादा  वो  कर  के साथ निभाने का उम्र भर 
तन्हाई.   का   तवील   सफर  दे  गया  मुझे 

उसने   बड़े   सलीक़े   से  तोडा  है ऐतबार 
फूलों  की पंखुड़ी  में   ज़हर  दे  गया मुझे 

मैं   उसके  इस कमाल पे हैरान हूँ"" कलाम"
दिल  में  उतर  के  दर्दे  जिगर  दे  गया मुझे 
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Mohd Kalam
Quote by Mohd Kalam - हम ज़ख्मे जिगर अपना दिखाएंगे किसी दिन
होंठों पे दिल कि बात भी लाऐंगें किसी दिन 

ऐ  रात   तेरे  सीने  पे   हम  रक़्स  करेंगे
एक  शम्स  सरे  शाम उगाएंगे किसी दिन

उतरेंगे  अगर  तह़  में  निकलेंगे गुहर हम
लहरों को तेरी नाप के  जायेंगे किसी दिन

अस्लाफ़ के अतवार को मेया़र बना कर
साहिल पे सफी़ने को जलाएंगे किसी दिन

ढलती है  ज़रा  शाम  तो  करते  हैं  चरागा़‌ॅं
इस वह़म में शायद की वो आयेंगे किसी दिन

लड़  जायेंगे  सैय्याद  से  ऐ क़ासिद ए इश्क़ाॖं
हम तोड़ कफस  तुझको उड़ाएंगे किसी दिन

महफ़िल में तेरी तिफ़्ल ए अदब आज हैं लेकिन
जौहर   सुखनवारी   के   दिखाएंगे  किसी दिन

टूटेंगी   तकब्बुर   की   फसीलें   भी  यकीनन 
दावा   है  कलाम  उनको  बुलाएंगे  किसी दिन



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